1. आरोप तय करने कर क्या मतलब है?

विचारण की शुरुआत आरोप तय करने से होती है I न्यायालय आरोप तय करती है- यह आपको बताता है की वास्तव मैं आपके खिलाफ कौनसा अपराध करने का आरोप लगा है I ऐसा इसलिए किया जाता है ताकि आपके पास विचारण मैं आपके खिलाफ इस्तेमाल किए जाने वाली सामग्री को समझने का समय मिले I अगर आरोप मैं आप कोई विशेष अपराध करने की अभियुक्त हैं, तोह इसका मतलब है की आरोप के लिए क़ानूनी अवशाक्यता संतुष्ट की गयी हैं I आरोप मैं निम्नलिखित चीज़ें होती हैं :
  • क़ानूनी प्रावधान जिसके तहत आपके उपर आरोप लगाया गया है
  • कोई पूर्व अभिशंसा- इसका इस्तेमाल एक उच्च दण्ड देने के लिए किया जा सकता है
  • समय और जगह जहां अपराध प्रतिबद्ध हुआ था
  • अपराध के पीड़ित
  • कोई भी संपति जो अपराध से संबंधित है

2. क्या न्यायालय मेरे खिलाफ आरोप मैं कोई बदलाव कर सकता है या कुछ नया जोड़ सकता है?

हाँ, न्यायाधीश के फैसला सुनाने के पहले आरोप मैं बदलाव किए जा सकते हैं I न्यायाधीश का यह कर्तव्य है की आरोप को पढ़ कर समझायें जब भी उसमे कोई बदलाव किया गया हो I कभी कभी न्यायाधिश एक नया विचारण करने का फैसला ले सकती है, यह निर्भर है की आरोप मैं कितने और किस तरह के बदलाव किए गए हैं I जब न्यायाधीश आरोप मैं बदलाव करते हैं, तब आपका वकील गवाहों की पेशी फिर से करवा सकते हैं, एवं नए गवाह बुला सकते हैं I

3.क्या विचारण के दौरान मुझे अदालत मैं उपस्थित रहना होगा ?

  • विचारण की कार्यवाही का सामान्य नियम है की कोई भी गवाह या साबुत जो अदालत को दिखाया जा रहा है वह अभियुक्त के सामने दिखाया जाये I
  • न्यायालय जब एक गवाह का बयान अभिलेक करे, तोह उन्हें वेह बयान गवाह को वापिस पढ़ के सुनना होगा उसे तरीके से जैसे वोह अभिलेखित हुआ है I
  • आप अपने वकील के द्वारा आदालत मैं एक आवेदन दे सकती हैं जिस्स्से की आपको कार्यवाही मैं शामिल न होने की अनुमति मिल जाये I अदालत यह अनुमति दे सकती है, अगर उन्हें लगता है आप की उपस्थिति आवश्यक नहीं है और आपके वकील अदालत मैं मौजूद हैं I
  • अगर आप अदालत की कार्यवाही मैं किसी तरह की बाधा डालती हैं, तो अदालत आपको उपस्थित होने से रोक सकती है I
  • अगर अभियुक्त फरार है और विचारपूर्वक अदालत मैं नहीं आ रहा है, तब भी न्यायालय विचारण को आगे बढ़ने देगी I

4. क्या विचारण के दौरान अदालत मुझसे सवाल पुच सकती है?

हाँ, अदालत विचारण के दौरान किसी भी समय किसी भी बिंदु पर आपसे सवाल पूछना की शक्ति रखता है I अदालत का यह कर्तव्य है की मामले के बारे मैं वोह आपसे सवाल करें, सामान्यत: अभियोजन पक्ष के सभी गवाहों के परिक्षण के बाद ही ये किया जाता है I अदालत को परिक्षण का एक अनुबोधक या अभिलेख बनाना होता है जो वेह आपको पढ़ के सुनाएगी I इस पर आपके, और न्यायाधीश के द्वारा हस्ताक्षर किया होना चाहिए I जब इस धरा के तहत आपका परिक्षण होता है, तोह आपके साथ गवाह के तरह व्ययावाहर नहीं किया जाता -आपका बयां शपथ पर नहीं होता, और आप यह चुन सकती हैं की आप न्यायाधीश के सवालों का जवाब न दें I ध्यान रखें, न्यायाधीश इस परिक्षण मैं दिए गए आपके जवाबों को विचारण के लिए ध्यान मैं रख सकती हैं- किसी अन्य संबंधित विचारण मैं भी इसका साक्ष्य के रूप मैं इस्तेमाल हो सकता है I
कम गंभीर अपराधों के लिए ( जिनमे कारावास का समय दो साल से कम हो ), अगर अदालत ने आपको यह अनुमति दी है के आप अदालत मैं पेश न हों, तोह उन्हें अभियोजन पक्ष के गवाहों के परिक्षण के बाद आपका परिक्षण करने की ज़रूरत नहीं है I

5. क्या मैं अपने खुद के विचारण मैं, गवाह के तौर पर बयान दे सकती हूँ?

हाँ, आप अपने विचारण मैं गवाह बन्ने के लिए आवेदन दे सकती हैं. तथापि, अगर आप ऐसा नहीं करती हैं, तोह इस बात का इस्तेमाल अदालत या दूसरा पक्ष आपके खिलाफ नहीं कर सकते हैं I अगर आप गवाह बनके बयान देती हैं तोह फिर, आपके सह-आरोपी आप का जिरह कर सकते हैं I

6. क्या मेरा विचारण खुली अदालत मैं आयोजित किया जाएगा ?

साधारण नियम यह है की एक अपराधिक विचारण खुली अदालत मैं आयोजित किया जाएगा-यह इसलिए किया जाता है ताकि यह बात सुनिश्चित रहे की न्यायाधीश अपने आचरण में न्यायोचित एवं निष्पक्ष रहें I तथापि बलात्कार के मामले मैं विचारण खुली आदोलत मैं नहीं आयोजित किया जाता- इस मामले मैं न्यायालय उन व्यक्तियों को अनुमति दे सकता है जो इस विचारण मैं मौजूद रह सकते हैं I इस तरह के विचारण को ‘ इन- कैमरा’ ट्रायल कहा जाता है और जहां तक संभव हो , इन्हें महिला न्यायाधीश द्वारा आयोजित किया जाता है I

7. अगर मैं सबूत को नही समझ पा रही तो क्या होगा ?

उदहारण के लिए, अगर गवाह कुछ अन्य भाषा मैं सबूत दे रही हैं, जो ना आप, न ही आपकी वकील समझ सकती हैं ,तो आप न्यायाधीश से कह सकती है की जो भाषा आप समझ सकती हैं उसमे अनुवाद की व्यवस्था करें I ज्यादा कठिन मामलों मैं यह सुनिश्चित करना की अभियुक्त को साक्ष्य समझ मैं आगया है मुश्किल हो सकता है- उदहारण के लिए, यदि अभियुक्त को कुछ भाषा या सुनने मैं कोई दुर्बलता है, या वेह विदेशी है और कोई अनुवादक नहीं है I ऐसे विचारण के अंत मैं, अगर अभियुक्त को दोषी पाया जाता है, तो न्यायालय को कारवाही की एक विवरण की प्रतिलिपि उच्च न्यायालय को भेजनी होगी I उच्च न्यायालय इस विवरण की जांच के बाद कोई आदेश करीत करने का निर्णय ले सकती है

8. क्या अभियोजन पक्ष का मुझे प्रभावित करना कानून के खिलाफ है ?

हाँ, अभियोजन पक्ष का किसी भी तर्रेके से आपको प्रभावित करना और आपसे जानकारी लेने की कोशिश करना गैर क़ानूनी है I तथापि, कानून कुछ स्थितियों की अनुमति देता है, जिसमे न्यायालय आपकों क्षमा प्रदान कर सकता है-यह आपको प्रभावित करना नहीं माना जाएगा I

9. क्या होगा अगर विचारण मैं अभियुक्त व्यक्ति मानसिक बिमारियों से ग्रस्त है ?

  • अगर न्यायालय को पता चलता है की अभियुक्त व्यक्ति मानसिक बिमारियों से ग्रस्त हो सकता है, तो वह एक मनोचिकित्सक या नैदानिक मनोवैज्ञानिक की राय ले सकते हैं I
  • अगर न्यायालय को यह संतुष्टि हो जाती है की अभियुक्त मानसिक बिमारियों से ग्रसित है और उसके खिलाफ कोई मामला नहीं बनता दिख रहा है, तोह न्यायालय आभियुक्त को मुक्त कर सकती है I मानसिक तौर पे बीमार व्यक्तियों की रिहाई के लिए कुछ शर्तें राखी जा सकती हैं जैसे की कुछ सुरक्षा राशी देना अथवा अभियुक्त को मानसिक बिमारियों के साथ व्यक्तियों के लिए आवासिय सुविधा मैं उन्हें दाखिल करना
  • अगर यह सम्भावना है की अभियुख्त ने अपराध किया है, तोह न्यायालय विचारण को स्थगित कर सकती है I अभियुक्त जमानत के लिए आवेदन कर सकती हैं- न्यायालय या तोह जमानत दे सकती है या यह आदेश दे सकती है अभियुक्त ऐसे जगह मैं रहें जहाँ उन्हें नियमित मानसिक रोगों का इलाज मिले I
  • अगर विचारण के अंत मैं न्यायालय को पता चलता है की अभियुक्त ने ही कृत्य किया था, तो न्यायालय उनको बरी कर सकता है अगर उन्हें लगता है की मानसिक रोग के कारन अभियुक्त को यह समझ नहीं थी की वोह क्या कर रहे हैं I

10. पहले ही मजिस्ट्रेट के द्वारा मैं एक अपराध कारित करने के आरोप मैं बरी के जा चुकी हूँ I क्या इस अपराध के लिए किसी अन्य न्यायलय मैं फिर से विचारण हो सकता है ?

समान्यत: एक ही अपराध के लिए आपका दो बार विचारण नहीं हो सकता I तथापि, इस चीज़ के लिए कुछ अपवाद हैं-
  • किसी पृथक आरोप के लिए आपके खिलाफ विचारण हो सकता है; अथवा
  • आपका विचारण फिर से हो सकता है अगर आपके कृत्य के कारन कुछ नए परिणाम हुआ हैं- उदहारण के लिए , जिस व्यक्ति को आपने चोट पहुंचाई है वह पहले विचारण के बाद मर जाता है, एक ऐन्त्रिक चोट के कारन जो पहले नहीं पहचानी गयी थी: अथवा
  • अगर आपका विचारण सही न्यायालय मैं नहीं हुआ है I