Definition:- Release of an arrested or imprisoned accused when a specified amount of security is deposited or pledged (as cash or property) to ensure the accused's appearance in court when ordered. In civil cases, an accused has a right to be released on bail before the trial. In criminal cases, bail is allowed only on the discretion of the court. The court will deny bail if it is satisfied there are substantial grounds for believing that the accused, if released, would abscond, commit an offence, or interfere with evidence or witnesses.

जमानत क्या है ?

ज़मानत से ही आप गिरफ्तार होते हुए रिहा होते हैं I ज़मानत पर रिहा होना का मतलब है की आपकी स्वतंत्रता की सीमाएं हैं- आप को देश छोड़ने से एवं बिना अनुमति यात्रा करने बाधित किया जा सकता है, और जब भी आवश्यक हो आप को न्यायालय अथवा पुलिस के समक्ष उपस्थित होना होता है I
जब आप गिरफ्तार किए जा चुके हों, आप रिहा हो सकते हैं यदि आप एक ‘बांड’ हस्ताक्षरित करें जिसमे आप कोई सुरक्षा राशी देते हैं I यह सुरक्षा राशी न्यायालय को आश्वस्त करती है की आप ट्रायल के लिए उपस्थित होंगे I आप को कुछ व्यक्तियों की आवशयकता हो सकती है जो की जमानती बनें ( प्रतिभू के रूप में ) I उन्हें ज़मानत राशी का भुगतान करना होगा यदि आप न्यायालय के समक्ष उपस्थित नहीं हों I इस तरह से, वह न्यायालय के लिए गौरंती हैं की जब भी आवश्यक हो आप उपस्थित रहें I

जमानती कौन हैं ?

जब आप जमानत के लिए न्यायालय के पास जाते हैं, तो न्यायालय को यह सूनिश्चित करने के लिए की आप भाग न जायें प्रय्प्त गौरंती चाहिए होती है I यह जिम्मेदारी लेने के लिए न्यायालय आपको कुछ लोगों को लाने के लिए बोल सकता है I इन व्यक्तियों को ‘ जमानती ’ कहते हैं I आपका जमानती आपका पहचान वाला होना चाहिए, जैसे की आप के परिवार वाले अथवा दोस्त I आदर्श रूप मैं वह स्थानीय जगह से ही होने चाहिए I हमेशा रिहाई के लिए जमानती की आवश्यकता नहीं होती I
एक जमानती को हमेशा जमानती नहीं रहना होता I एक व्यक्ति जमानती होने से पीछे हट सकता है I आपको तब उस जमानती की जगह किसी अन्य को जमानती बनाना होगा I यदि उस जमानती के स्थान पर कोई अन्य नहीं आये तो आप पुनः हिरासत मैं ले लिये जायेंगे I

जमानत बोंड ‘ / (Bail Bond) क्या है ?

जमानत में मौद्रिक मूल्य का ‘ जमानत बोंड ’ होता है I यह आपको भागने से रोकने के बाबत एक और तरीका है I यदि आप जमानत की शर्तों का उल्लुंधन करते है, तो यह राशी जब्त कर ली जाएगी I सामान्यत: , न्यायालय आपके जमानती को निर्धारित राशी के मूल्य की एक “सावधि जमा रसीद” ( फिक्स्ड डिपाजिट रिसीप्ट-FDR) पेश करने को कहेगा I यदि यह न किया जाये, तो उसे जमानत राशी के मूल्य की संपति के स्वामित्व बाबत प्रमाण देने होंगे I यह आभूषण अथवा मोटर गाड़ी हो सकते हैं I
  • यदि जमानत स्वीकार की जाये, तो ऐसी स्वकृति सत्यापन होने पर निर्भर हो सकती है I इसका मतलब है कि न्यायालय जाँच करेगा कि आप द्वारा दी गई जानकारी (जमानती एवं संपति बाबत) सच है I पुलिस जमानती के पते का सत्यापन कर सकती है, एवं बैंक से पुच सकती है की क्या FDR वास्तविकता मैं अस्तित्व मैं है I
  • यदि जमानती रिहाई बाबत आवेदन देती है , जमानत राशी लौटा दी जाएगी I इसी तरह , एक बार ट्रायल समाप्त हो जाये, बैल बांड स्वय: हे ख़ारिज हो जाता है, एवं यह राशी लौटा दी जाती है I

क्या पुलिस द्वारा गिरफ्तार करने से पूर्व भी मुझे जमानत का लाभ मिल सकता हैं ?

यदि आप को लगता है की आप किसी गैर-जमानती अपराध मैं संदिग्ध है, आप सेशन न्यायालय अथवा उच्च न्यायालय के समक्ष आवेदन दे सकते हैं कि गिरफ्तार करते ही आपको तुरंत रिहा कर दिया जाए I इसे ‘ आग्रिम जमानत ‘ कहते हैं I याद रखें कि यदि आप किसी जमानती अपराध मैं संदिग्ध हैं तो आप को अग्रिम जमानत हेतु आवेदन देने की आवश्यकता नहीं होती I पुलिस का आपको जमानत देना वैसे भी अनिवार्य है I

मुझे ‘आग्रिम जमानत’ का आवेदन कब करना चाहिए ?

आप यह आवेदन दे सकते हैं यदि आप को प्रतीत हो की आप गिरफ्तार किए जाने वाले हैं I यह जरुरी नहीं है कि आपके विरुद्ध प्रथम सुचना रिपोर्ट दर्ज हो चुकी हो I पहले न्यायालय एक अस्थायी आदेश दे सकता है यदि वह यह निर्णय ले की आप को आग्रिम जमानत का लाभ मिलना चाहिए I तत्पश्चात वह इस बाबत लोक अभियोजक एवं पुलिस को सूचित करेगा I उनको सुनवाई का अवसर प्रदान करने पश्चात् न्यायालय इस अस्थायी संरक्ष्ण को अंतिम आदेश में परिवर्तित कर सकता है I न्यायालय इस आदेश मैं किसी भी प्रकार की शर्त लगा सकता है, जैसे कि पुलिस के समक्ष जब भी आवश्यक हो, उपस्थित होने, गवाहों से दूर रहना एवं देश से बहार जाने से पहले आज्ञा लेना I

मुझे अभी अभी गिरफ्तार किया गया है क्या में जेल से निकल सकता हूँ ?

  • हाँ, यदि आरोपित अपराध जमानती प्रकृति का है तो पुलिस कर्मी का आप को जमानत पर रिहा करना अनिवार्य है, अगर आप जमानत मुचलके भर दें I सामान्यत: यदि अपराध गंभीर नहीं है या उसमे कारावास का प्रावधान 3 वर्ष से कम है, विधि इसे जमानती अपराध मानती है I इस नियम मैं अपवाद भी है-भारतीय दंड संहिता मैं उल्लेखित प्रत्येक अपराध जमानती अथवा गैर जमानती मैं वर्गीकृत है I
  • यदि पुलिस आप को रिहा नहीं करती है, उन्हें आप को २४ घंटे के भीतर मजिस्ट्रेट के समक्ष प्रस्तुत करना होगा I मजिस्ट्रेट जमानत राशी निर्धारित करने बाबत एक आदेश पारित करेगी ताकि आप रिहा हो सकें I
  • यदि किसी जमानती अपराध के लिए आप जमानत पर रिहा कर दिए गए हैं एवं आप जमानत की शर्तों का पालन न करें, आप की अगली उपस्थिति पर मजिस्ट्रेट आपको जमानत का लाभ देने से मना कर सकती है I
  • अपराध गैर जमानती है इसका मतलब यह नहीं की आप जमानत पर रिहा नहीं हो सकते I इसका मतलब है की जमानत अब आप का अधिकार नहीं है एवं आपको जमानत का लाभ देने या नहीं देने का निर्णय न्यायालय लेगाI आप मजिस्ट्रेट के समक्ष २४ घंटों के भीतर प्रस्तुत किए जायेंगे I मजिस्ट्रेट के सामने उपस्थित होते ही आप जमानत आवेदन दे सकते हैं I न्यायालय जमानत देने से पहले विभिन्न कारकों पर विचार करता है, जैसे की क्या आप को अभिरक्षा की आवश्यकता अनुसंधान मैं है, क्या आप न्यायिक प्रक्रिया से पलायन कर जायेंगे, क्या आप साक्ष्य से छेड़छाड़ करेंगे या गवाहों को धमकाएंगे, आपराध की गंभीरता एवं क्या आपके द्वारा और अपराध करीत करने की संभावना है I
  • गिरफ़्तारी पश्चात जब आप मजिस्ट्रेट के समक्ष प्रस्तुत किए जाते हैं, मजिस्ट्रेट एक बार मैं १४ दिनों के लिए आप तो कारागृह भेज सकती है I यह अवधि ६० अथवा ९० दिन ( अपराध पर निर्भर ) तक बढाई जा सकती है I इस अवधि के पश्चात जमानत पर रिहा होना आपका अधिकार है I आपकी रिहाई के लिए फिर भी आपको आवेदन करना होगा I यदि इस आवेदन से पूर्व पुलिस आरोप-पत्र पेश कर दे, तोह आप ये अधिकार खो देंगे I
  • कुछ निश्चित गंभीर अपराधों के लिए न्यायालय निश्चित ही जमानत का लाभ देते हुए शर्तें लागु करेगा
    • जमानत की शर्तोनुसार आपको न्यायालय मैं उपस्थित रहना होगा
    • आप उसी प्रकार का अपराध करीत नहीं करेंगे
    • आप पीड़ित को, गवाहों को अथवा अन्य संगीध व्यक्तियों को न प्रभावित करेंगे न धमकाएंगे

क्या कोई परिस्थितियाँ है जिनमें न्यायालय को जमानत का लाभ देने की अनुमति नहीं है ?

हाँ, यदि न्यायालय यह मानता है की आपने कोई ऐसा गैर जमानती अपराध करीत किया है , जो मृत्युदंड से
दंडनीय है, वह आपको जमानत का लाभ नहीं दे सकता I इसी तरह , जब तक की कुछ विशेष कारण न हों, न्यायालय निम्नलिखित परिस्थितियों में जमानत आवेदन स्वीकार नहीं कर सकता:
यदि...एवम...
आप पूर्व मैं ऐसे अपराध के दोषी करार किए गए हैं जो दंडनीय है :मृत्युदंड से, आजीवन कारावास से, या ७ वर्ष से अधिक कारावास सेअब आप जिस अपराध के आरोपी हैं वह एक संज्ञेय अपराध है
आप पूर्व मैं एक से अधिक संज्ञेय अपराध के मुज्रिन पाए गए हैंवह अपराध करीत करने के लिए आप 3 से 7 वर्ष के लिए कारावास जा सकते थे
महिलायों एवं बचों के लिए विशेष अपवाद:यदि आप महिला हैं अथवा १६ वर्ष से कम उम्र के किशोर हैं एवं आपने उप्रुक्त मैं से कोई अपराध करीत किया है,न्यायलय आपको जमानत का लाभ देने से मना नहीं कर सकताI

क्या एक बार जमानत पर रिहा होने के पश्चात मुझे गिरफ्तार किया जा सकता है ?

हाँ, आप भले ही गैर जमानती अपराध के संबंध मैं जमानत पर हैं, न्यायालय आपको गिरफ्तार होने का आदेश पारित कर सकता है यदि उसकअ मानना है की आपकी गिरफ़्तारी आवश्यक है I

मैं बहुत समय से काराग्रह मैं हूँ एवं ट्रायल अभी तक भी विचारधीन है I क्या मेरे पास कोई उपाय है ?

  • हाँ, न्यायालय का आपको रिहा करना अनिवार्य है यदि आप काराग्रह मैं जितनी अवधि के लिए रह चुके हैं, वह आपको दंडनीय आधिकतम कारावास की अवधि के समक्ष है I
  • आपकी रिहाई पर न्यायालय द्वारा विचार करने का अधिकार है यदि आप अधिकतम दिये कारावास की आधी अवधि काराग्रह मैं बिता चुके हैं I न्यायालय इसके बावजूद भी आपको काराग्रह मैं पुनः भेज सकता है अथवा आपको एक निजी मुचलके पर ( जमानती के साथ अथवा जमानती के बिना ) रिहा कर सकता है I यदि आप पुनः काराग्रह भेजे गए हैं, ध्यान रखिये की एक बार आप संपूर्ण देय कारावास पूरा कर लें, तो आप का रिहा होने का अधिकार है I
  • तथापि, उपरोक्त मैं से कोई भी नियम लागु नहीं होगा यदि आप मृत्युदंड से दंडनीय अपराध के आरोपी हैं I
  • आपको रिहा होने बाबत विचारण का अधिकार प्राप्त है यदि अपराध मजिस्ट्रेट द्वारा विचारणीय हैं एवं ट्रायल पहली तिथि जिस पर साक्ष्य का ग्रहण होना था उससे 6० दिवस के भीतर समाप्त नहीं हुई है I

आप जमानत की राशी देने मैं असमर्थ हैं I क्या इसका मतलब है की आपको जेल मैं रहना पड़ेगा ?

न्यायालय का यह कर्तव्य है की वह आप पर स्वयं की परिस्थितियों के अनुकूल जमानत राशी लागु करे I न्यायालय को आपको बिना मुचलके हस्ताक्षरित करे भी छोड़ना होता है यदि :
  • आप जमानती अपराध से आरोपित हैं,
  • आप जमानत राशी का भुगतान करने मैं आर्थिक रूप से असमर्थ हैं, एवं
  • आप जेल मैं ७ दिवस से अधिक समय बिता चुके हैं I
तथापि, यह उस परिस्थितियों मैं लागु होने योग्य नहीं है जहां आप सुरक्षा कारणों से शांति और अच्छा व्यवहार बनाये रखने के लिए जेल मैं हैं अथवा अपने पूर्व की जमानत की शर्तों का पालन नहीं किया है I

यदि न्यायालय ने मेरा जमानत आवेदन अस्वीकार कर दिया है तो मैं क्या कर सकता हूँ ?

आप उच्चतर न्यायालय के समक्ष आवेदन दे सकती हैं, सेशन अथवा उच्च न्यायालय मैं I इन न्यायालयों के पास जमानत पर रिहा करने की एवं जमानत की शर्तें बदलने की सामान्य शक्तियां हैं I आप प्रतीक्षा कर उसी न्यायालय मैं पुनः आवेदन दे सकती हैं I यदि आप उसी न्यायालय मैं पुनः आवेदन करती हैं तो आप को दिखाना होगा की पिछली बार जमानत अस्वीकार करने के पश्चात स्थिथि मैं क्या बदलाव आया है I

क्या मुझे न्यायालय द्वारा निर्दोष घोषित करने के बावजूद भी जमानत बाणड हस्ताक्षरित करना आवश्यक होगा ?

हाँ, न्यायालय ट्रायल समाप्त होने से तुरंत पूर्व जमानत मुचलके भरने के लिए कहेगा I यह ऐसा है क्यूंकि सर्कार निर्णय के विरुद्ध अपील कर सकती है I इस बाणड मैं जमानती होंगे एवं यह आपको उच्चतर न्यायालय के समक्ष अपील दर्ज होने पर प्रस्तुत रहने हेतु बाध्य करेंगे I यह करने के लिए 6 महीने की समयावधि है- यदि कोई अपील इस अवाधि के अन्दर दर्ज नहीं की जाती, तो आप पूर्णतया स्वतंत्र हैं