विवरण:-
IPC की धारा 426:- जो कोई भी शरारत करता है वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से, जिसकी अवधि तीन मास तक की हो सकेगी, या जुर्माने से, या दोनों से, दंडित किया जाएगा ।
सजा:-
3 महींने का कारावास या जुर्माना या दोंनों

यह एक जमानती अपराध है।
यह एक गैर-संज्ञेय अपराध भी है।
यह अपराध किसी भी मजिस्ट्रेट द्वारा सुना जा सकता है।
यह अपराध समझौता करने योग्य है।