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COVID - 19 | कोविड-19 | Quran & Hadis on pestilence | hadis on Epidemic | हिंदी में
कोविड-19 जैसी महामारी एवं इस्लाम की शिक्षाः पवित्र कुरान की सूरा संख्या 5 में कहा गया है कि जिस मुल्क में रहते हो, उसके कायदे-कानून को मानो। वहाँ के हुक्मरानों की बात को मानो। इसके बावजूद यदि कोई मुस्लिम कोरोना वायरस की महामारी के दौरान सरकार के निर्देशों का उल्लंघन करे, तो समाज एवं मुल्क के खिलाफ हरकतें करनेवाले ऐसे इंसान को गैरजिम्मेदार माना जाएगा। 1400 साल पहले संक्रमक बीमारी पर हुजूर मुस्तफ़ा मुहम्मद सल्लेअलाहुअलैहिवसल्लम (SAW) की हदीस में इस प्रकार की सलाह दी गई हैं। 1- कोरेनटाइन करें - हुजूर ने फरमाया है कि जिस शख्स को संक्रमक रोग है, लोगों को उससे दूर रहना चाहिए. Ref बुक्स : [सही अल बुखारी वाल्यूम 07- 71- 608 ] 2- सोशल डिस्टैंसिंग रखें - हुजूर ने, संक्रमक रोगी को सेहतमंद लोगों से दूर रखने की हिदायत दी है। Ref बुक्स : [अल बुखारी 6771 एवं अल मुस्लिम 2221] 3- सफर पर पाबंदी - उन जगहों पर जाने से परहेज करें, जहाँ पर ये महामारी हो। और अगर आप उसी शहर में, या उसी जगह पर हों। तो उस जगह को छोड़कर बाहर न जाएं। Ref बुक्स : [अल बुखारी (5739) एवं अल मुस्लिम (2219)] 4- दूसरों को नुकसान न पहुंचाएं - हुजूर ने फरमाया है कि यदि आप संक्रामक रोग से पीड़ित हैं, तो आपका फर्ज है कि दूसरों तक इसे न पहुंचने दें। दूसरों को मुसीबत में न डालें। Ref बुक्स : [सुनान इब्न माज़ा (2340)] 5- घर पर रहें - हुजूर ने फरमाया है कि जो स्वयं अपनी हिफाज़त के लिए घर पर रहते हैं, उनकी हिफ़ाज़त अल्लाहताला करता है। Ref बुक्स : [सही मुसनद अहमद, ] 6- घर ही मस्जिद - हुजूर ने फरमाया है कि ऐसी महामारी के वक्त आपका घर ही आपकी मस्जिद है जो सवाब (पुण्य) मस्जिद में नमाज का है। ऐसे समय में वही सवाब घर में पढ़ी हुई नमाज का है। Ref बुक्स : [अल तिरमज़ी(अल-सलाह, 291)] 7- सब्र ही इलाज है - हुजूर ने फरमाया कि जब अल्लाताला इस किस्म की बीमारी भेजता है, तो उसका इलाज भी भेजता है। यानी वह आपके सब्र का इम्तेहान ले रहा है। Ref बुक्स : अल बुखारी [(वाल्यूम 07, बुक 71, संख्या 582)] 8- फेस मास्किंग - हुजूर को जब छींक या खांसी आती थी, तो वह खुद कपड़े से अपने मुँह को ढक लिया करते थे। Ref बुक्स [(अबू दाऊद, सही अल तिरमज़ी, बुक 43, हदीस 2969)] 9- हाथ धोना - हुजूर ने फरमाया कि अपने घर आते ही और सुबह उठने के बाद सब से पहेले अपने हाथों को धो लें। साफ-सफाई ही आधा ईमान है। ऐसे भी इस्लाम में पांचवक्त नमाज फर्ज है। और नमाज से पहले वज़ू (मुँह-हाथ-पैर धोना)फर्ज है। Ref बुक्स : [अल मुस्लिम (223)] 10- होम कोरेंटाइन - हुजूर की सलाह है कि जिस शख्स को संक्रामक रोग है, और अगर वह घर रहकर ही सब्र के साथ इबादत करे, तो वह अल्लाह की रहमत से महरूम नहीं होगा। क्योंकि जिंदगी और मौत अल्लाह के हाथ है। Ref बुक्स : [मुसनद अहमद, सही अल बुखारी(2829) एवं अल मुस्लिम(1914)] जिस मज़हब की आसमानी किताब और उसके हुजूर पैगंबर मुस्तफ़ा मुहम्मद सल्लेअलाहुअलैहिवसल्लम (SAW) ने इन पाबंदियों एवं एहतियातों का जिक्र 1400 साल पहले बताया था, आज 21वीं शताब्दी में विज्ञान उन्हीं का पालन करने को कह रहा है*। ऐसे में इस्लाम के मानने वालों का यह फ़र्ज़ बनता है कि वे *अपने धर्म के बताए हुए रास्तों पर चलें एवं अपनी, समाज की और पूरे मुल्क के लोगों की हिफाज़त करें एवं सरकार के निर्देशों का हू-ब-हू पालन करें।
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