इस्लाम
इतिहास गवाह है जिस कॉम ने अल्लाह और उसके रसूल की बात नहीं मानी,अल्लाह ने उस कॉम पर लानत भेजी,
फिर चाहे वह जिन्नात की कॉम का सबसे ज्यादा इबादतगीर और अल्लाह का पसंदीदा एवं तमाम फरिश्तों का सरदार जिन्न इब्लीस जिसका दुनिया और आसमान के चप्पे-चप्पे पर सजदा था,अपनी इबादत के घमंड में आकर इब्लीस ने अल्लाह के एक आदेश का पालन न करने पर अल्लाह ने उसे शैतान का दर्जा दे दिया,अल्लाह ने इब्लीस और 
इब्लीस साथ देने वाले और कहना मानने वाले जिन्न और इंसान के गिरोह को एक समय तक के लिए मुहलत दी है और अल्लाह की इन पर कयामत तक लानत रहेगी,

अल्लाह ने इस वाक्ये को कुरान में कुछ इस तरह बयान किया गया है:-


“और उस वक्त को याद करो जब हमने फरिश्तों से कहा कि आदम को सजदा करो तो सब के सब झुक गए मगर शैतान ने इनकार किया और गुरुर ( घमंड) में आ गया काफिर हो गया”
                                             सूरा अल बकरा:- आयत नंबर 34

ज्यादा जानकारी के लिए पढ़े, सुरह अल साद:- आयत नम्बर:- 69…...88
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फिर चाहे वह ‘बनी इसराइल’ यानी यहूदी की कॉम हो,यहूदी जिसे नबियों की पाक नस्ल भी कहते है,अल्लाह ने यहूदी कॉम को सबसे ज्यादा श्रेष्ट बनाया और एल्म इज्जत,हुकूमत और नाबुबत अता की,

अल्लाह ने इस वाक्ये को कुरान में कुछ इस तरह बयान किया गया है:-


“बनी इसराइल मेरी उन नेमतों को याद करो जो मैंने तुमको दी हैं और यह कि मैंने तुमको सारे जहां पर फज़ीलत(श्रेष्टता) दी”
                                        सूरा अल बकरा:- आयत नंबर:- 122
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“और हमने बनी इसराइल को किताब (तौरेत) और हुकूमत और नबूवत अता की और उन्हें उम्दा उम्दा चीजें खाने को दी और उनको सारे जहां पर फ़ज़ीलत दी”
                                        सूरा अल जासिया:- आयत नंबर:- 16
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फिर बनी इसराईल(यहूदी) रास्ते से गुमराह हो गये और गफलत में पड़ गए और कमजोर मजलूमो पर जुल्म करने लगे,जो रसूल यहूदियों के खिलाफ अल्लाह का हुक्म लेकर आता यहूदी उस रसूल का कहना नहीं मानते और रसूल को झुटला देते और कभी कभी रसूलों को कत्ल भी कर देते,तब अल्लाह की यहूदियों पर लानत आयी और कयामत तक वनी इसराइल पर अल्लाह की लानत रहेगी,और ये लोग कयामत तक रुसवाह होते रहेगे,
अल्लाह ने इस वाक्ये को कुरान में कुछ इस तरह बयान किया गया है:-


“और वह वक्त याद करो जब हमने बनी इसराइल से जो तुम्हारे बुजुर्ग थे अहद व पैमाना लिया था खुदा के सिवा किसी की आराधना न करना और मां-बाप और कराबतदारो और यतीमों और मोहताजों के साथ अच्छे सुलूक करना और लोगों के साथ अच्छी तरह नरमी से बाते करना और हर बराबर नमाज पढ़ना और जकात देना फिर तुममें से फिर थोड़े आदमियों के सिवा सब के सब फिर गए और तुम लोग हो ही इकरार से मुंह फेरने वाले”

                                             सूरा अल बकरा:- आयत नंबर:- 83
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“हमने बनी इसराइल से अहद व पैमान ले लिया था और उनके पास बहुत रसूल भी भेजे थे इस पर भी जब उनके पास कोई रसूल उनकी मर्जी के खिलाफ हुक्म लेकर आया तो इन जालिम लोगों ने किसी को झुटला दिया और किसी को कत्ल ही कर डाला”
                                               सूरा अल माएदा:- आयत नंबर:- 70
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“(ऐ रसूल उस वक्त को याद दिलाओ) जब तुम्हारे परवरदिगार ने पुकार पुकार के (बनी ईसराइल से कह दिया था कि वह कयामत तक उन पर ऐसे हाकिम को मुसल्लत देखेगा जो उन्हें बुरी बुरी तकलीफें देता रहे क्योंकि) इसमे तो सक नहीं कि तुम्हारा परवरदिगार बहुत जल्द अजाब करने वाला है और इसमें भी सक नहीं कि वह बड़ा बख्शने वाला मेहरबान भी है”
                                                सूरा अल आराफ़:- आयत नंबर:- 167
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अल्लाह ने यहूदियों पर ऐसे हाकिम को मुसल्लत किया जिन्होंने यहूदी क़ोम में कत्लेआम मचा दिया और समय-समय पर उन्हें बुरी बुरी तकलिफें देते रहे,आज ऐसे कई हाकिम के बारे में हम जानते हैं जिन्होंने यहूदियों को बुरी बुरी तकलीफें दी, ये अल्लाह का यहूदियों पर आजाब ही तो है,आजकल हम देख रहे हैं,यहूदी तागतबर होने के बाबजूद भी आज भी पूरी दुनिया जिल्लत की जिंदगी जी रहे है,क़यामत से पहले यहूदी अपने एल्म की बजह से जो अल्लाह ने इन्हें दिया है फिर एकजुट हो जायेगे,और गुमराहों और काफिरों से मिलकर दुनिया में फसाद फैलायेगे,
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