इस्लाम का अर्थ क्या है ?:-
"इस्लाम ये अरबी भाषा का शब्द है जो अरबी भाषा के शब्द “सलाम” और “सिल्म” से आता है। जिसका अर्थ होता है (सलाम का अर्थ होता है शांति) और सिल्म का अर्थ होता है “एक इश्वर अल्लाह के सामने बिना किसी शर्त के नतमस्तक हो जाना, झुक जाना "

इस तरह से  इस्लाम का अर्थ होता है:-  
“शांति जो मानव प्राप्त करता है एक सत्य इश्वर के सामने नतमस्तक होकर बिना किसी शर्त के।” और जो कोई व्यक्ति बिना किसी शर्त के एक सत्य इश्वर के सामने नतमस्तक हो जाता है ऐसे व्यक्ति को अरबी भाषा में “मुस्लिम” कहते है।जिसका अर्थ होता है इस्लाम को माननेवाला और इस्लाम पर चलने वाला।


Q:- मुसलमान किसे कहते है?:-

Ans:- अगर कोई व्यक्ति यह यकीन रखता है कि पूरी कायनात में अल्लाह के सिवा कोई पूजा(इबादत) करने योग्य नहीं है और मोहम्मद साहब अल्लाह के बंदे (creation) और रसूल(messanger) हैं, इतना यकीन होने पर ही, व्यक्ति मुसलमान हो जाता है मुसलमान होने के लिए किसी भी प्रकार के प्रमाण की जरूरत नहीं है,अल्लाह दिलों की हाल जानता है,अल्लाह से कुछ भी छुपा नहीं है,जैसा की इस्लाम के कलमा से पता चलता है...

 "

La-ilaha-illallah-muhammadur-rasulullah"

                                     या
“ASH-HADU ALLA ILAHA ILLALLAH, WA ASH-HADU ANNA MUHAMMADAR RASULULLAH"

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मुसलमान के लिए कुरान सरीफ की सुरह-अल- असर के अनुसार इन चार चीजों में कसरत होना जरूरी है….
1. अल्लाह की जात पर यकीन(इमान)
2. दुनिया में अच्छे कामों की कसरत (इंसानीयत और खुद को फायदा पहुचाने वाले काम)
3. हक़ के साथ या हक की बात की कसरत(न्यायवादी,)
4. मुसीबत के समय अल्लाह पर सब्र करना, (अपनी पूर्ण जायज कोशिशों के बाद अल्लाह पर सब्र करना)(सुरह अनकबूत न.29 आयत न-59)


विवरण:-

यह चार चीज एक मुसलमान के अंदर होना जरूरी है इन चारों को अगर हम समझने की कोशिश करें तो इससे हमें बहुत कुछ सीखने को मिलता है और हम समझ पाते हैं इस्लाम क्या है इस्लाम को मानने के लिए किन चीजों का होना जरूरी है इस्लाम में क्या अधिकार दिए,इस्लाम में किन कार्यों की पाबंदी है अगर आप इतना जान जाते हैं तो आप समझ जाएंगे कि इस्लाम क्या है जैसे:-
1. अल्लाह की जात पर यकीन(इमान):-एक मुसलमान के लिए सबसे पहले अल्लाह और उसकी किताब कुरान सरीफ और उसके रसूल मुहम्मद साहब और उनकी हदीस(कथन) पर यकीन होना जरूरी है,

(i) हदीस:- मोहम्मद साहब ने जो इंसान को जीने के लिए दिनचर्या बताई या मुहम्मद साहब की जो दिनचर्या थी और कुछ विशेष कामों के लिए जो तरीका बताया है उन तरीकों पर अमल करना सुन्नत कहलाता है,


सुन्नत:- अगर कोई इंसान अपनी दिनचर्या हदीस के अनुसार गुजारता है तो उसे सुन्नत कहा जाता है,उसका सबाव(पुंह) मिलता है,


अगर कोई मुसलमान दिनचर्या को फॉलो नहीं कर पाता है तो वह मुसलमान गुनहगार(पापी) नहीं होता और इससे उसके धर्म(इमान) पर कोई फर्क नहीं पड़ता है,

जैसे:-

1. मोहम्मद साहब का सोने का तरीका,

2. मोहम्मद साहब का विस्तार से उधने तरीका,

3. मोहम्मद साहब का लोगो से मुलाकात करने का तरीका

4.आदि


विशेषकार्य :- हदीस में बताए गए कुछ विशेष कार्य अगर कोई मुसलमानों नहीं करता है या जानबूझ कर गलती करता है तो जरूर गुनहगार हो जायेगा या अगर यकीन नहीं रखता है तो इस्लाम से भी बहार हो जायेगा,

जैसे:-
1. नमाज पढ़ने से पहले इंसान का वजू होना/वजू करना, जरूरी है
2. अपने पडोसी के साथ किस तरह का व्यबहार होना चाहिए
3. इल्म(ज्ञान ) के प्रति मुसलमान का रुख कैसा होना चाहिए
4. मुसलमान का गैरों के साथ कैसा रुख होना चाहिए
5. पति और पत्नी के आपसी चाल चलन कैसे होने चाहिए
6. एक मुसलमान की घरेलु लाइफ कैसी होनी चाहिए
7. आदि
समय के अनुसार,लिए गये निर्णय:- इस्लाम में किसी भी प्रकार के बदलाव करने की इजाजत किसी को नहीं दी है

लेकिन अल्लाह और उसके रसूल ने मुसलमान को यह इजाजत दी है कि वह समय के अनुसार खुद की सुरक्षा/फायदा के लिए अपने हक में दुनियावी और आखिरत की बेहतरीन जिन्दगी के लिए निर्णय ले,


एक मुसलमान का कोई भी निर्णय इस्लाम के उन चार सिद्धांतों के खिलाफ नहीं होना चाहिए अगर कोई व्यक्ति ऐसा करता है या करने की कोशिश करता है तो वह बड़ा गुनहगार होगा!