भारतीय दंड संहिता की धारा 34 के अनुसार, जब कोई आपराधिक कार्य कई व्यक्तियों द्वारा अपने सब के एक समान इरादे को अग्रसर करने में किया जाता है, तब ऐसे व्यक्तियों में से हर व्यक्ति उस कार्य के लिए उसी प्रकार दायित्व के अधीन है, मानो वह कार्य अकेले उसी ने किया हो.